THE FACT ABOUT अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ THAT NO ONE IS SUGGESTING

The Fact About अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ That No One Is Suggesting

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‘कै’ ने। सारी गड़बड़ी किसने करी है? ‘कै’ ने। तो हट जाने दो न। ये सब हटाओगे भी तो कौन हटेगा? ‘कै’ हटेगा, ‘मैं’ थोड़े ही हटेगा।

ये पूरा एक ढाँचा है। आप सिर्फ़ अपनी नौकरी से नहीं चिपके हुए हैं, और बहुत सारी चीज़ें हैं जिनसे आप चिपके हुए हैं। आप किसी एक चीज़ को नहीं छोड़ सकते। ये जीवन जीने की एक कला है।

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उसको तुम परेशान करोगे तो वो भग लेगा। और मसीहा तो तुम हो नहीं कि जानबूझ कर परेशानियाँ मोल लो क्योंकि तुम्हें दूसरों की परेशानियाँ दूर करनी हैं।

आचार्य: बस। आत्मा को कोई परेशानी नहीं है, आत्मा को कुछ हासिल नहीं करना है। ना आगे जाना है, ना पीछे जाना है। सारी दिक़्क़तें किसके लिए हैं?

क्या आप यहाँ से पहले बैंगलोर की कल्पना करेंगे? नहीं न। आपको पहला कदम बढ़ाना है।

प्र: तब तो फिर शांति के लिए जंगल में ही बस जाना चाहिए!

धनराज पढ़ाई में कमजोर थे। वे दसवीं तक ही पढ़ पाए। धनराज यह

प्र: मेरी इच्छा है कि more info अपने शहर में आपकी पुस्तकों की एक लाइब्रेरी (पुस्तकालय) बनाऊँ। मैंने रोहित जी से भी चर्चा की थी। कुछ और भी विचार आये हैं। सामान्यतः लोग रामायण वगैरह पढ़ते हैं। आपके कोर्सेज़ हैं, वीडियोज़ हैं, तो मैं उनको बड़े स्तर पर, बड़े टीवी पर अधिक-से-अधिक लोगों को सुनाना चाहता हूँ। मेरे पास सौ-दो-सौ कांटैक्ट हैं। मैं सबको एकसाथ आपकी चीज़ें रोज़ पोस्ट करता हूँ। तो अपने शहर में इसको मैं बड़े स्तर पर करना चाहूँ तो उसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा?

जिसने धारणा बना ली है कि, "मैं जहाँ हूँ, जैसा हूँ, ठीक हूँ, पूर्ण हूँ, स्वस्थ हूँ", उससे तुम पूछो, “क्या हालचाल?”

मेरा पहला प्रश्न ये था कि क्या अहंकार समस्या की जड़ है, क्या अहंकार अच्छा नहीं हो सकता?

आचार्य: आप सब कुछ नहीं छोड़ सकते जब तक आपके पास कुछ ऐसा नहीं है जो आपको आश्वस्ति दे, आप जिसकी शरण ले सकें, जिसमें आपकी श्रद्धा हो। ये जानिए कि आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं उन जगहों पर उपस्थित होकर जहाँ आपको नहीं होना चाहिए। और अगर आपको वहाँ होना ही है तो एक नई ऊर्जा के साथ उसको जारी रखें।

जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।

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